सियासी-फ़सल
“आफ़त की चाहत “ को पूरा करने के बाद जब सामाजिक उपन्यास “ खुलता-किवाड़” लिखना शुरू किया तो मुझे पता नहीं था कि इसकी प्रतिक्रिया कैसी होगी ? क्योंकि अब तक रिपोर्टिंग की वजह से मेरी पहचान जो बनी है , उसमें सामाजिक उपन्यास कहीं भी फ़िट नही बैठता है इसलिए एक वर्ग अब भी चाहता है कि खुलता - किवाड़ के साथ आफ़त की चाहत का सफ़र जारी रहे । एक पाठक ने तो साफ़ कह दिया कि सामाजिक-फ़माजिक छोड़ अपनी पत्रकारिता में ही लौट आओ , किसी ने छत्तीसगढ़ पर तो किसी ने कई तरह का प्रस्ताव भेज दिया।
किसी भी लेखक के लिए पाठक से बढ़कर कुछ नहीं है , पाठकों का विश्वास ही उसका संबल है , ताक़त है । अतः मैंने भी तय कर लिया की खुलता- किवाड़ के साथ - साथ एक और किताब भी लिखूँगा।
किताब का शीर्षक भी सोच लिया- “सियासी-फ़सल”
आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में ....
-कौशल तिवारी
34,मीडिया सिटी
मोहबा बाज़ार
रायपुर (छत्तीसगढ़)
Mo-9826147155
किसी भी लेखक के लिए पाठक से बढ़कर कुछ नहीं है , पाठकों का विश्वास ही उसका संबल है , ताक़त है । अतः मैंने भी तय कर लिया की खुलता- किवाड़ के साथ - साथ एक और किताब भी लिखूँगा।
किताब का शीर्षक भी सोच लिया- “सियासी-फ़सल”
आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में ....
-कौशल तिवारी
34,मीडिया सिटी
मोहबा बाज़ार
रायपुर (छत्तीसगढ़)
Mo-9826147155
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